Saturday, May 18th, 2024

आज कल में राज्यपाल पटेल करेंगी रीवा कुलपति की नियुक्ति, पैनल में बंद हुए पांच उम्मीदवार

भोपाल
राजभवन ने अवधेश प्रताप सिंह विवि में नियमित कुलपति नियुक्ति करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है। राजभवन कुलपति चयन करने सैकडाभर एप्लीकेशन मिले थे। उनकी स्कू्रटनी कर साक्षात्कार करा लिए गए हैं। उनमें से चयनित पांच उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को सौंप दिया गया है, जो आज कल में कुलपति की नियुक्ति कर सकती हैं।  

राजभवन ने रीवा विवि के कुलपति को नियुक्त करने में काफी तेजी दिखाई है। राजभवन को एक माह में सैकडाभर एप्लीकेशन मिले थे। रीवा विवि के योग्य कुलपति का चयन करने के लिए तीन सदस्यी सर्च कमेटी गठित की, जिसमें अध्यक्ष राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील कुमार गुप्ता और पंजाब विवि के प्रो. राजकुमार व उज्जैन विधि के कालेज प्राचार्य सत्य नारायण शर्मा सदस्य नियुक्त किया गया।

यह पहला मौका है जब सर्च कमेटी में शासन की तरफ से प्राचार्य शर्मा को शामिल किया गया। इसके पहले प्रमुख सचिव सदस्य के रूप में कमेटी में शामिल होते रहे हैं। सर्च कमेटी ने सैकडाभर उम्मीदवारों के दस्तावेजों की स्कू्रटनी कर करीब एक दर्जन उम्मीदवारों के साक्षात्कार किए थे। इसमें मप्र के सिर्फ पांच प्रोफेसर ही सर्च कमेटी के उलझे और प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के संतोषजनक जवाब दे सके हैं। कमेटी ने पांच उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर राजभवन भेज दिया है। प्रभारी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल आज कल में रीवा विवि के कुलपति की नियुक्ति करेंगी। राज्यपाल वर्तमान में उप्र में हैं, जिसके कारण विलंब भी होने कयास लगाए जा रहे हैं।

चार माह ही प्रभारी कुलपति रह सके पाठक
राजभवन प्रभारी कुलपतियों से छह माह से तीन साल तक विवि की गतिविधियों को पूर्ण करता आया है। रीवा विवि के कुलपति की नियुक्ति के संबंध में राजभवन ने काफी तेजी दिखाई है। राजभवन ने 29 अगस्त को तत्कालीन कुलपति पीयूष रंजन अग्रवाल का इस्तीफा मिलने के बाद दो सितंबर को एपीएस विवि के समाज शास्त्र विभाग के डीन नारायण प्रसाद पाठक को प्रभारी कुलपति नियुक्त किया था। 15 सितंबर को राजभवन ने आदेश जारी कर बीस अक्टूबर तक आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि घोषित कर दी है। दिसंबर में कुलपति की नियुक्ति होती है, तो प्रभारी कुलपति पाठक साढे तीन माह की बतौर कुलपति अपनी सेवाएं दे पाएंगे।

अंदरुनी राजनीति बनी रीवा विवि की समस्या
रीवा विवि में देशभर के प्रोफेसरों ने कुलपति बनने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इसलिए उप्र से आधा दर्जन आवेदन मिलने के बाद सभी आवेदन मप्र से जमा हुए हैं। जानकारों का कहना है कि रीवा विवि की गतिविधियां संचालित करने में काफी हस्तक्षेप होता है, जिसके कारण अधिकतर उम्मीदवार वहां जाना पसंद नहीं करते हैं। रीवा विवि में कर्मचारियों की अंदरुनी राजनीति विवि के विकास में सबसे बडा रोड बना हुआ है। इसके चलते कुलपति पियूष रंजन ने अपने परिवारिक स्थिति ठीक नहीं होने का बहाना लेकर इस्तीफा दिया था।

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